NOT KNOWN FACTS ABOUT SIDH KUNJIKA

Not known Facts About sidh kunjika

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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।

एडवर्टाइज विथ असप्राइवेसी पॉलिसीकॉन्टैक्ट अससेंड फीडबैकअबाउट असकरियर्स थीम

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥ १ ॥

सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः

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न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।। । इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।

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